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लकड़हारा अपनी पत्नी की बात से सहमत हो गया। उसने अपनी तीसरी इच्छा व्यक्त की, “मैं चाहता हूँ कि मेरी पत्नी दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिला बन जाये।”

फिर राजकुमारियों ने अपना बड़ा सा बेड हटाया तो उसके निचे तहखाने में जाने के लिए एक सुरंग बानी हुई थी.

उसी सरोवर किनारे एक शिव मंदिर था। उस शिव मंदिर की रक्षा एक सुनहरी स्वर्ण परी करती थी। सुनसान जंगल के बिच में यह शिव मंदिर था जहा कोई आता जाता नहीं था। लकड़हारा ने सरोवर और शिवालय को देखकर वही भोजन करने का मन बनाया। उस सरोवर का जल बहुत ही शीतल था। लकड़हारे ने हाथ-पैर धोकर मंदिर में पुरे भक्ति भाव से शाष्टांग प्रणाम किया।

वह अंदर आते हुए रानी परी और राजकुमार ने देखा कि इच्छा परी जो पकड़ी जा चुकी थी और वो एक बंधन में बंधी थी। जादूगर उस वक्त वहां पर नहीं था क्योंकि वह गुफा को देखने के लिए दूसरी छोर की तरफ गया हुआ था। इच्छा परी ने रानी परी को सारी आपबीती सुनाई। उसके बाद रानी परी ने इच्छा परी को छुड़ा लिया।

काली परी की कहानी – परियों की कहानी में यह कहानी एक ऐसी परी की है. जिसका रंग काला होता है. get more info इस कारणों से सब उसे काली परी कह कर बुलाते हैं. लेकिन वह बहुत सुंदर दिखाई देती है. इस कारण परीलोक में उसके बराबर की दूसरी परिया उसे हेय दृष्टि से देखती है. इसीलिए वह हर समय उदासी रहती है. काली परी की एक सहेली होती है. जिसका नाम प्रियांशी परी होता है. प्रियांशी परी काली परी से बोलती है, ‘तुम उदास क्यों हो’. काली परी, ‘देखो ना मेरे काले रंग के कारण मुझसे कोई बात भी नहीं करता.’ प्रियांशी काली परी को कहती है. उदास मत हो तुम्हारा रंग काला है.

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राजकुमार बोला, आप दोनों को पृथ्वीलोक पर कोई भी सहायता चाहिए तो मुझे जरूर बोलना. इसके बाद दोनों परियां वहां से उड़ गई. उड़ते उड़ते दोनों परियां एक झोपड़ी के पास गई. वहाँ एक साधू उदास बैठा था. काली परी प्रियांशी परी को बोला, चलो साधू जी की मदद करते हैं.

ऐसा कह कर नन्ही परी वहां से गायब से हो गई।

राजकुमारी नीलम की आँखे आश्चर्य से फटी की फटी ही रह गई.

राजा ने स्वीकार कर लिया रात को भोजन के बाद उसे राजकुमारियों के नजदीक वाले कमरे में छोड़ दिया गया.

परियों के रानी की एक बेटी थी जिसका नाम शीतल था, लेकिन अपने नाम के विपरीत वह बहुत शरारती थी। शीतलता वाला कोई गुण उसके अंदर नहीं था। वह हमेशा अपने शरारत से महल में कोई न कोई मुसीबत उत्पन्न करती ही रहती थी।

एक दिन मिनी एक बिल्ली को शता रही थी. कभी बिल्ली को पेड़ के उपर चढ़ा देती कभी उसे पेड़ से नीचे गिरा देती. तो कभी उसे पानी में गिरा देती. और उसे देखकर जोर जोर से हसने लगती. थोड़े समय बाद मिनी थक गई. उसने सोचा अब मुझे वापस परीलोक जाना चाहिए. जब वो परीलोक पंहुची तो उसने देखा कि उसकी माँ बहुत बीमार है. उसके शरीर पर चोट के निशान है. मिनी अपनी माँ के पास गई और बोली माँ ये कैसे हुआ. तब माँ ने कहा कि, तुम जिस बिल्ली को शता रही थी वह मै ही थी. मिनी जोर जोर से रोने लगी. उसने माँ से माफ़ी मांगी. तब माँ ने मिनी को कहा, तुम अपनी जादुई शक्तियों से कभी दुसरो को परेशान मत करना. क्योंकि इस दुनिया हर जीव ख़ुशी से रहना चाहता है. मिनी अब माँ की बात को समझ गई थी. उसने अपनी माँ से वादा किया कि, अब से आपकी हर बात मानेगी कभी दुसरो को शताएगी नही. इसी बात पर दोनों माँ बेटी आपस में गले लग गए.

एक बार की बात है, एक राजा और रानी थे जिनकी एक बेटी थी। राजकुमारी बहुत सुंदर थी और उसके माता-पिता उससे बहुत प्यार करते थे। जब वह पैदा हुई, तो राजा ने एक भव्य दावत का आयोजन किया और राज्य के सभी परियों को आमंत्रित किया।

एक दिन, जंगल के किनारे से जामुन तोड़ते समय, सारा एक रहस्यमय, ऊंचे रास्ते पर ठोकर खाती है जिसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। बिना किसी हिचकिचाहट के, वह गहरे जंगल में चली गई। जब वह चला तो उसने हर तरह के अद्भुत नज़ारे देखे – जगमगाती नदियाँ, ऊँचे-ऊँचे पेड़ और रंग-बिरंगे पक्षियों के झुंड।

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